Vishwajit Singh मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोरतेरा तुझको सौंपता क्या लागै है मोर “कबीर का उक्त दोहा अत्यन्त प्रासंगिक है। हमारे शख़्सियत के मूल (essence) एवं निर्माण (building) में हमारा योगदान नहीं। माता पिता का सम्बन्ध जन्म से, किन्तु नाम ( identity) का सम्बन्ध एकदम समाजRead More →

कबीर की साझी संस्कृति: पूरब से पश्चिम तक: बुद्ध से कबीर तक बैंड के गायक, संगीतकार आदित्य राजन घूमते घूमते जा पहुंचे गोरखपुर से कच्छ के रण, और वहां मिलते हैं कबीर को गाते हुए एक स्थानीय लोक कलाकार को। और तब होता है एक ऐसा फ्यूज़न जिसमे हम पातेRead More →

(सुनील दत्ता – स्वतंत्र पत्रकार – दस्तावेजी प्रेस छायाकार) ” क्या काशी . क्या ऊसर मगहर , जो पै राम बस मोर | जो कबीर काशी मरे , रामही कौन निहोर ‘तीर्थ साधारत: तरण के स्थान को ही कहते है | सभी तीर्थ मुख्यत: जल – तीर्थ होते है |Read More →